एन.एल.पी. क्या है? (मॉडलिंग के परिप्रेक्ष्य से) पार्ट २
‘सक्सेस मॉडलिंग’ के संदर्भ में कुछ एकदम बुनियादी सवालों के जवाब हमें एन.एल.पी. देता है, जैसे कि ...
हमें जो कुछ महसूस होता है, जैसे कि जूनून, आत्मविश्वास, आनंद, उत्साह इ. यह कैसे होता है?
हम यदि किसी कौशल या स्किल का इस्तेमाल बेहद अच्छी तरीके से कर रहे हैं, तो उस कौशल के प्रदर्शन के समय हमारे दिमाग में और शरीर में क्या होता है?
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यह कैसे संभव होता है कि दो लोग एक ही घटना का अनुभव करने के बाद उस घटना का भिन्न-भिन्न अर्थ निकालते हैं और अपने निकाले हुए अर्थ को ही सही है, यह जताने की कोशिश करते हैं?
हम अपनी भावनाओं को किस प्रकार से निर्मित करते हैं?
जब हम खुश होते हैं, तब दिमाग में क्या घटता है और जब निराश होते हैं, तब दिमाग में क्या घटता है?
क्या दो अलग अनुभवों के बाद (जैसे कि उत्साह और द्वेष) दिमाग दो विभिन्न दिमागी संरचनाओं (स्ट्रक्चर्स) को निर्मित करता है? अगर हाँ, तो क्या हम उन संरचनाओं को जान सकते हैं? क्या हम उन संरचनाओं को बदल सकते हैं?
साथ ही साथ, एन.एल.पी. प्रतिभावान लोगों का उदहारण के तौर पर अभ्यास कराता है एवं कुछ मूलभूत सवालों के जवाब देता हैं, जैसे कि -
क्यों प्रतिभाशाली लोग अन्य बाकी लोगों से बेहतर परिणाम निर्मित करते हैं?
क्या प्रतिभा या जीनियस की कोई ‘दिमागी संरचना’ होती है?
जिसे हम प्रतिभा या जीनियस कहते हैं, क्या उसे निर्मित किया जा सकता है?
इन सवालों के उत्तर के लिए एन.एल.पी. हमें कुछ बेहतरीन टूल्स् और तकनीक देता है, जिन्हें सीखकर और दूसरों को सिखाकर हम बेहतरीन परिणाम अर्जित कर सकते हैं तथा बेहद कम समय में परिवर्तन निर्मित कर सकते हैं । इसे एन.एल.पी. में ‘मॉडलिंग’ या ‘सक्सेस मॉडलिंग’ कहा जाता है । ‘मॉडलिंग’ एन.एल.पी. का सबसे मूल आधार है, जिससे एन.एल.पी. के अधिकांश टूल्स् निर्मित हुए ।
‘मॉडलिंग’ में यह ढूंढा जाता है कि किस प्रकार से कोई व्यक्तिविशेष किसी बेहतरीन कौशल या स्किल का इस्तेमाल कर रहा है तथा उस कौशल को हम किस तरह से सीख सखते हैं या उसे सिखाया जा सकता है । संक्षेप में, अगर कोई इन्सान कुछ भी बेहतर तरीके से कर रहा है, तो उस बेहतरी को मॉडल किया जा सकता है एवं उसे सीखने के बेहद तेज रास्ते निर्मित किये जा सकते हैं । मॉडलिंग से निर्मित टूल्स् के इस्तेमाल से आप आपके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन को रूपांतरित कर सकते हैं ।
एन.एल.पी. के शुरुवाती दिनों में दो मॉडल निर्मित हुए १. मेटा मॉडल २. मिल्टन मॉडल
स्टोरी ऑफ़ मेटा मॉडल:
मेटा मॉडल, थेरेपी जगत के दो जीनियस की मॉडलिंग के बाद तैयार हुआ -
१. व्हरजिनीया सटायर
२. फ्रिटस् पर्ल
मेटा मॉडल, मूल रूप से व्हरजिनीया सटायर और फ्रिटस् पर्ल के भाषा कौशल पर आधारित है । थेरेपी की जगत में उस समय ये दो लोग बड़ी सहजता के साथ क्लांयट के अंतरजगत में परिवर्तन लाते थे । अंतरजगत की जिन चीजों को बदलने में और ज़िन्दगी को रूपांतरित करने में, जहाँ दूसरे थेरेपिस्ट या सायकोलॉजिस्ट को वर्षों लग जाते थे, वहीं काम ये दोनों कुछ ही पलों में कर देते थे । कई बार सिर्फ एक सेशन में ही क्लाइंट की निराशा, चिंता, दुःख, क्रोध, नकारात्मकता, इत्यादि दूर हो जाती थी और एक नयी ज़िन्दगी की शुरूवात होती थी । लोग इनके पास रोते हुए आते थे और हंसते हुए जाते थे, निराश होकर आते थे और उत्साह लेकर जाते थे । यह एक जादू था, कुछ पलों में ज़िन्दगी बदल जाती थी, वर्षों की समस्याएँ मिनिटों में दूर हो जाती थी ।
व्हरजिनीया सटायर उस दौर की सबसे महानतम और सफल ‘फेमिली थेरेपिस्ट’ थी । उनका मानना था कि समस्या कहीं बाहर नहीं होती, समस्या तो सिर्फ हमारे ‘समस्या को देखने के नजरिये’ में छिपी होती हैं । इस मूल विचार के आधार पर सटायर लोगों का जीवन परिवर्तन करने में सफल होती थीं, जैसे कि एक लड़की उनके पास काउंसलिंग के लिए आती थी, वह अपनी माँ से बहुत अधिक नफरत करती थी । साथ ही साथ वह लड़की परिवार के बाकी लोगों के साथ भी अलगाव महसूस करती थी । उसे यह लगता था कि इस पूरी दुनिया में उसका कोई नहीं है और वह निपट अकेली है । इस गहन अलगाव की मनसिकता ने उसे तोडकर रख दिया था, वह निराश हो चुकी थी, थक चुकी थी, टूट चुकी थी । जैसे जैसे थेरेपी आगे बढ़ने लगी उस लड़की की मानसिकता में बेहतरीन बदलाव देखे जाने लगें । कुछ ही दिनों में जो लड़की उसकी माँ के प्रति हद से ज्याद द्वेष रखती थी, उसी माँ में अब उसको सबसे अच्छा दोस्त दिखाई देने लगा । किन्तु यह जादू हुआ कैसे?
दूसरी ओर फ्रिटस् पर्ल जो कि सायकियाट्रिस्ट और सायकोथेरेपिस्ट थे, उनकी रचनात्मकता और अनुभव से निर्मित ‘गेस्टाल्ट थेरेपी’ के जरिये बडे ही आराम से और तीव्र गति से क्लाइंट के जीवन में परिवर्तन निर्मित करते थे । पर्ल कहते थे, ‘मुझे जो अच्छा लगता है, वह मैं करता हूँ और आपको जो अच्छा लगता है, वह आप करते हैं । मेरा जीवन आपकी अपेक्षाओं की पूर्ती के लिए नहीं है और ना ही आपका जीवन मेरी अपेक्षाओं की पूर्ती के लिए है । आप, आप हैं और मैं, मैं हूँ और संयोग से हम मिल जाते हैं, तो यह बड़ा ही सुंदर होगा और अगर हम नहीं मिल पाते हैं, तो इस में मैं कुछ कर नहीं सकता ।’ संक्षेप में, पर्ल का यह मानना था कि जीवन में ज्यादातर बार दुःख, निराशा, चिंता, इत्यादि सिर्फ इसलिए निर्मित होते हैं, क्योंकि हमारी अपेक्षाएँ अवास्तविक होती हैं । इसी मूल सिध्दांत के आधार पर ‘गेस्टाल्ट थेरेपी’ के जरिये फ्रिटस् पर्ल, हजारों लोगों का जीवन परिवर्तन करने में सफल हुए । किन्तु यह जादू हुआ कैसे?
इस जादू को ढूंढने के लिए रिचर्ड बॅन्डलर और जॉन ग्राइंडर (को-क्रिएटर ऑफ़ एन.एल.पी.) ने सटायर और पर्ल के थेरेपी सेशन का निरीक्षण करना शुरू किया । जब निरीक्षण गहरा होता गया, तो पता चला कि व्हरजिनीया सटायर और फ्रिटस् पर्ल दोनों ही भाषा का इस्तेमाल इतनी सटीकता से और सहजता से करते थे कि कई बार सिर्फ और सिर्फ उनकी भाषा के इस्तेमाल से ही वे क्लायंट के जीवन में अविश्वसनीय बदलाव लाते थे । उनकी इस जादुई भाषा के गहन अध्ययन के बाद, उनके भाषा के उपयोग में कुछ पैटर्न्स या प्रतिरूप देखे गये । उन पैटर्न्स को इकठ्ठा कर जब एन.एल.पी. को-क्रिएटर्स ने इस्तेमाल करना शुरू किया, तब उन्हें भी आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त होने लगे । सिर्फ एक या दो थेरेपी सेशन में क्लायंट के जीवन में होने वाला परिवर्तन इतना तेज था कि उस पर विश्वास करना कठिन था । लोगों की समस्याएँ जैसे निराशा, चिंता, भविष्य का डर, आत्मविश्वास का आभाव, नकारात्मकता, फोबिया, इत्यादि सिर्फ कुछ सेशन में खतम हो जाते थे । यह एक जादू था, जिस पर यकीन करना कठिन था, किन्तु जीवन रूपांतरित होने के सेकड़ों प्रमाण सामने थे । परिणामस्वरूप, वे लैंग्वेज पैटर्न्स जो व्हरजिनीया सटायर और फ्रिटस् पर्ल उनके थेरेपी सेशन में क्लाइंट के जीवन में परिवर्तन लाने हेतु इस्तेमाल करते थे, उन्हें अधार बनाकर ‘मेटा मॉडल’ को विकसित किया गया । मेटा मॉडल मूलतः ‘किस प्रकार हम भाषा का इस्तेमाल करते हुए स्वयं के और दूसरों के जीवन को रूपांतरित कर सकते हैं’, यह समझाता है ।
इसके बाद एन.एल.पी. में और एक मॉडल बना जिसका नाम था ‘मिल्टन मॉडल’ । मिल्टन मॉडल के बारे में अगले ब्लॉग में चर्चा करेंगे ।
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एन्जॉय योर लाइफ एंड लिव विथ पैशन !
Mranal Gupta
NLP Master Trainer, Clinical Hypnotherapist, Director of IBHNLP
एन.एल.पी. के बारे में मास्टर ट्रेनर मृणाल गुप्ता द्वारा अलग-अलग पहलुओं से लिखे ब्लॉग्स पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक्स पर क्लिक कीजिए ।
Summary:
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