हर क्षण को आनंद से जीने की कला (माइंडफुलनेस क्या है? पार्ट - ३)
माइंडफुलनेस की व्याख्या: ‘एक निश्चित इरादे के साथ इस क्षण पर ध्यान देना (वर्तमान में आना) और वह भी बिना किसी अनुमान या पूर्वाग्रह के ।’ शायद यह एक ऐसी व्याख्या है जिसे दुनिया के सबसे ज्यादा माइंडफुलनेस प्रैक्टिशनर मानते हैं ।
‘Paying attention to the present moment deliberately and non-judgementally.’
यदि आप इस ब्लॉग सीरीज का पहला ब्लॉग पढ़ना चाहते हैं, तो यहाँ क्लिक करें ।
If you want to read the same article in English, please click here.
व्याख्या का पहला हिस्सा - एक निश्चित इरादे के साथ इस क्षण पर ध्यान देना (वर्तमान में आना ।)
इस व्याख्या को पढ़ने के बाद निश्चित ही आप कहेंगे, कि इस क्षण में ध्यान देने के अलावा मैं और करता ही क्या हूँ? अगर मैं इस क्षण में ध्यान नहीं दूंगा, तो गाड़ी कैसे चला पाऊंगा, ईमेल के जवाब कैसे दे पाउंगा, खाना कैसे बनाऊंगा और ढेर सारी एक्टिविटीज जो मैं हर दिन करता हूँ, उन्हें कैसे कर पाऊंगा ।
अब जरा सोचिए, जब आप सुबह ऑफिस के लिए निकले तब गाड़ी चलाते समय क्या आप सिर्फ गाड़ी चला रहे थे या सोच रहे थे? अगर आप ट्रेन से ऑफिस जाते हैं या बस से जाते हैं, तो सफर के दरमियान क्या आप सिर्फ बैठे हुए थे या बैठे-बैठे कुछ सोच रहे थे? सुबह आपने कॉफी ली, तो क्या आप कॉफी के हर घूंट का अनुभव ले रहे थे, या कॉफी पीते हुए विचारों में खोये हुए थे ?
इस प्रकार के सवाल मैं आमतौर पर एम.बी.एन.एल.पी. के सेमिनार में आने वाले प्रतिभागियों से पूछता हूँ । एक सेमिनार में इस तरह से सवाल पूछने के बाद एक प्रतिभागी ने एक मजेदार घटना का वर्णन किया । उसने कहा, “जब मैं कॉलेज में था, तब मुझे ताजमहल देखने की इच्छा थी, किन्तु मेरे पास पैसे नहीं थे । लगभग १ वर्ष तक मैंने पैसे इकट्ठा किये और फिर ताजमहल देखने चला गया ।” वह आगे कहता है, “ताजमहल के गार्डन में बैठे हुए मैंने सिर्फ चंद पलों के लिए उस ताजमहल को देखा होगा और फिर मैंने कैमरा उठाया और अगले ३ घंटे तक मैं फोटो ही निकालता रहा, या किस एंगल से फोटो अच्छा दिखेगा उसके बारे में सोचता रहा ।” मजेदार बात तो उसने आगे कही, “ताजमहल घूमकर मैं घर आने के लिए निकला, ट्रेन में बैठे-बैठे ताजमहल के परिसर में निकाले हुए फोटो देख रहा था । तब मुझे लगा कि इससे अच्छा तो ₹ १०० देकर फोटोग्राफर से फोटो खिंचवाता, मेरे खींचे हुए फोटो से वे फोटो जरुर बेहतर होतें । शायद फोटो खींचने के चक्कर में मैंने ताजमहल देखा ही नहीं ।’
दोस्तों, कितनी बार हम गार्डन में घूमने जाते हैं, वहाँ के पेड़ पौधों को देखने के बजाय, प्रकृति का आनंद लेने के बजाय, हम विचारों में खो जाते हैं । अब आप ही सोचिए, दिनभर में कितना समय आप वर्तमान में होते हैं और कितना समय सोचने में बिताते हैं । क्या आपने गौर किया है, कि आपके ज्यादातर विचार वहीं होते हैं, जिन पर आपने कल भी विचार किया था, परसों भी विचार किया था, हफ्ते भर पहले भी विचार किया था और आज फिर आप उन्हीं विचारों के ऊपर विचार कर रहे हैं ।
इसलिए वर्तमान में आने और हमारे ओवरथिंकिंग की आदत को तोड़ने के लिए, हमारे पास एक निश्चित इरादा होना चाहिए, साथ ही साथ हमें वर्तमान में आने का हर दिन अभ्यास करना होगा । हर बार हमारा मन ऑटो पायलट पर चला जाएगा, हमारा मन खुद-ब-खुद कुछ ना कुछ सोचने लगेगा, हमें फिर से उसे वर्तमान में लाना होगा । सोचने की इस गहन आदत को तोड़ने के लिए, वर्तमान में रुकने की साधना करनी होगी । हम फिर से भविष्य में चले जाएंगे, अतीत में खो जायेंगे, फिर से हमें वर्तमान में आना है । वर्तमान में रहने का निश्चित इरादा अगर हम कर लेते हैं, तो यह काम बेहद आसान हो जाएगा । निश्चित इरादा इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि विचार करने की पूरानी आदत ने हमारे भीतर वर्षों से जड़ें जमा रखी हैं, इन जड़ों को तोड़ने के लिए हमें जान बूझकर वर्तमान में आने की नयी आदत डालनी होगी ।
व्याख्या का दूसरा हिस्सा - वह भी बिना किसी अनुमान या पूर्वाग्रह के ।
अब कल्पना करें, आपको एक ऑनलाइन बिजनेस शुरू करना है, जहाँ पर आपको ऑनलाइन कपड़े बेचने हैं । अब इस बिजनेस को शुरू करने के लिए आपको लगभग ५० लाख की इन्वेस्टमेंट जरूरी है । इस ५० लाख में से ३० लाख आपने खुद की बचत से डाले हैं और बाकी के २० लाख का कर्जा लिया है । अब इतनी बड़ी इन्वेस्टमेंट और इतना बड़ा बिजनेस शुरू करने के लिए आपको उस के बारे में सोचना होगा । आपको एक बिजनेस प्लान तैयार करना होगा, ऑनलाइन पोर्टल किस तरीके से बनाना है, इसके बारे में सोचना होगा, इस बिजनेस को चलाने के लिए कितने लोग लगेंगे उनके बारे में विचार करना पड़ेगा, मार्केटिंग के बारे में सोचना होगा, हर उस छोटी- छोटी चीज के बारे में सोच विचार करना होगा, जो आपके बिजनेस पर असर डालने वाली है ।
आपको भविष्य का अनुमान लगाना पड़ेगा और उस भविष्य को देखते हुए, आपको वर्तमान में तैयारी करनी होगी । इसका मतलब यह हुआ कि आपका अनुमान या जजमेंट जितना बेहतर होगा, उतना ही आपके बिजनेस के सफल होने की संभावना बढ़ेगी । संक्षेप में, आपको अनुमान या जजमेंट, जो हमारी दिमागी ताकत है, उसकी मदद लेनी होगी, आपको विचार करना होगा । यह आप जितनी बेहतर तरीके से कर पाएंगे, उतनी ही जल्दी और आसानी से आप सफलता की बुलंदियों को छू सकेंगे ।
किन्तु ज़िन्दगी जीते समय हमारी जजमेंट करने की आदत इतनी गहन हो जाती है कि हम हर छोटी से छोटी चीज के ऊपर जजमेंट लेने लगते हैं, जहाँ जरूरी नहीं वहाँ पर भी विचार करने लगते हैं । इससे होता यह है कि ज़िन्दगी के मजे लेना हम भूल जाते हैं और जजमेंट या विचारों में अटक जाते हैं ।
उदहारण के लिए, आपको जो चाय दी गयी है, वह ठंडी है । अब चाहे वह चाय ठंडी है पर उसका भी एक अलग मजा हो सकता है और क्या हम उस ठंडी चाय का भी मजा ले सकते हैं? शायद नहीं । हम इस ठंडी चाय के बारे में सोचने लगते हैं, पिछली बार जो गर्म चाय पी थी, वह कितनी बढ़िया थी, उसके बारे में सोचने लगते हैं, किस होटल में किस तरह की चाय मिलती है, उसकी कल्पना करने लगते हैं, ठंडी चाय कितनी खराब लग रही है, उसके ऊपर जजमेंट पास करने लगते हैं और इन विचारों की वजह से जो चाय हम पी रहे हैं, भले ही वह ठंडी क्यों ना हो, हम उसका मजा लेना भूल जाते हैं ।
हमारे दिमाग में हर पल चलने वाली इस रनिंग कमेंट्री की हमें इतनी आदत हो गयी है कि हम चाय भी एंजॉय नहीं कर पातें, सफलता को एंजॉय करना तो बहुत दूर की बात है । इसी लिए जहाँ पर जरूरी नहीं है, वहाँ पर हमें बिना किसी अनुमान या पूर्वाग्रह अथवा जजमेंट को हटाकर वर्तमान में जीने का अभ्यास करना होगा । सबसे महत्वपूर्ण बात, ज़िन्दगी आनंदपूर्ण तरीके से जीने के लिए हमें जीवन में हर बार जजमेंट की या पूर्वाग्रह की कोई आवश्यकता नहीं होती, हम जीवन के बड़े हिस्से को बिना किसी अनुमान या पूर्वाग्रह या जजमेंट के बेहतर तरीके से और आनंद के साथ जी सकते हैं ।
अंत में फिर एक बार माइंडफुलनेस की व्याख्या दोहराता हूँ ।
‘एक निश्चित इरादे के साथ इस क्षण पर ध्यान देना (वर्तमान में आना) और वह भी बिना किसी अनुमान या पूर्वाग्रह के ।’ ‘Paying attention to the present moment deliberately and non-judgementally.’
आशा करता हूँ कि यह ब्लॉग आपको अच्छा लगा होगा, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें । चलो तो फिर मिलते हैं अगले ब्लॉग में, तब तक के लिए ...
एन्जॉय योर लाइफ एंड लिव विथ पैशन !
Mranal Gupta
NLP Master Trainer, Clinical Hypnotherapist, Director of IBHNLP
इसी सन्दर्भ में और कुछ ब्लॉग पढ़ने के लिए नीचे दिये शीर्षकोंपर क्लिक करें ।
Summary:
What is mindfulness? Definition of being mindful. ‘Paying attention to the present moment deliberately and non-judgementally.’ Being alert, aware & mindful, help us enjoy this moment. It’s not what you do, but how you do it, is important. Mindfulness-based Neuro-Linguistic Programming teaches us to be aware in the moment & enjoy it.
At first step, in NLP Practitioner, NLP Coach, Hypnosis Practitioner & Life Coach Certification Course we precisely learn how our brain functions. How thoughts are framed? What is their structure of our thoughts?
In 6 Days intensive NLP Practitioner, NLP Coach, Hypnosis Practitioner & Life Coach Certification Workshop in Pune, Ahmedabad, Delhi, Mumbai, Bangalore, we learn the secrets of personal & professional transformation. People from all walks of life get benefited through NLP, Hypnosis & Life Coaching. Teachers, Trainers, Manager, Business Heads, CEOs, CFOs, Students even housewives attend the NLP Workshop & feel the drastic change in their life. This Course exclusively covers all the major aspects of NLP, Hypnosis & Life Coaching. Now get the best NLP Training in India at the affordable rates. Participants of NLP Practitioner Course anywhere in India also get Free Training & Certification in Hypnosis & Life Coaching. Hurry Up! Don’t miss the opportunity to get trained in NLP by the best NLP Master Trainer & Life Coach in India. Learn NLP in Hindi as well as in English. All course content is provided in Hindi as well as in English. Learning NLP in Hindi will be of great help if your mother tongue is Hindi or your client is using Hindi as his/her mother tongue.