मन क्या है? पार्ट २
इस ब्लॉग में हम निम्नलिखित चार अलग-अलग घटनाओं के बारे में पढ़ेंगे एवं ‘मन की परिभाषा’ को समझने का प्रयास करेंगे ।
१. माइंडफुलनेस के बारे में आपने सुना होगा । पिछले कुछ वर्षों में माइंडफुलनेस के ऊपर १००० से ज्यादा पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं । माइंडफुलनेस के संदर्भ में इंटरनेट की दुनिया में ५०० से ज्यादा अच्छी वेबसाइटस् हैं । माइंडफुलनेस के ऊपर लिखे हुए १५,००० से ज्यादा रिसर्च पेपर पिछले कुछ वर्षों में प्रकाशित हुए हैं । अब तक सैकड़ों फेसबुक पेजेस इस विषय के ऊपर बनाये जा चुके हैं । हजारों आर्टिकल्स लिखे जा चुके हैं । कई सारे यूट्यूब वीडियोज् देखने को मिलेंगे । माइंडफुलनेस के विषय में इतनी सारी जानकारी होने के बावजूद खुद के जीवन में माइंडफुल होना एक चुनौती से कम नहीं है ।
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क्या कारण है कि माइंडफुल होना आमतौर पर इतना मुश्किल प्रतीत होता है? इस पर आपकी क्या राय है? आगे पढ़ने से पहले थोड़ा रुक कर सोच विचार करें ।
जब आप उपरोक्त जानकारी पढ़ रहे थे, तब आपका दिमाग माइंडफुलनेस के संदर्भ में सोच रहा था साथ ही जो जानकारी आपने पढ़ी हैं, उसका विश्लेषण आपका दिमाग कर रहा था । वैज्ञानिकों की मानें तो इस प्रक्रिया में आपके दिमाग का एक हिस्सा जिसे हम प्रीफ्रंटल कॉरटैक्स कहते हैं, वह संलग्न था ।
तो क्या हम हमारे दिमाग के उस हिस्से को जिसे प्रीफ्रंटल कॉरटैक्स कहा जाता है, उसे मन कहेंगे?
२. आपने शायद 'अवेंजर्स एंडगेम' नामक मूवी देखी होगी । इस मूवी में थेनॉस नाम का एक विलन है, जिसे पूरी दुनिया का मालिक बनना है । इसके लिए उसे इंफिनिटी स्टोंस इकट्ठा करने हैं । इस थेनॉस को रोकने के लिए सारे अवेंजर्स यानी इस दुनिया को बचाने वाले सुपर हीरोज इकट्ठा होकर उसका मुकाबला करने के लिए तैयार हो जाते हैं और जंग छिड़ जाती है । थेनॉस बेहद ताकतवर है, उससे लड़ते हुए कई सारे सुपर हीरोज मारे जाते हैं । अंत में, थेनॉस मारा जाता है, पर उसे मारते हुए आयरनमैन यानी टोनी स्टार्क भी मारा जाता है । जैसे ही आयरनमैन मारा जाता है, थिएटर में बैठे लोग रोने लगते हैं, चिल्लाने लगते हैं, “अरे उसे मत मारो, वह हमारा सबसे प्यारा सुपरहीरो है”, और इस तरह मूवी पूरी होते होते कई लोगों की आँखें भर आती हैं ।
इस पूरे इमोशनल सीन को समझने के लिए हमारे दिमाग का एक हिस्सा जिसे ‘लिम्बिक सिस्टम’ कहा जाता है, वह सक्रिय हो जाता है । किसी भी इमोशनल कंटेंट को समझने के लिए हमारे दिमाग के इस हिस्से का सक्रिय होना बेहद जरूरी होता है ।
अब सवाल यह है कि क्या हमारे दिमाग के उस हिस्से को जिसे 'लिम्बिक सिस्टम' कहा जाता है, उसे मन कहेंगे?
३. शाम का वक्त था और जगह थी सीएसटी रेलवे स्टेशन, मुंबई । लोग ऑफिस के बाद घर जाने के लिए निकल रहे थे । पूरा सीएसटी रेलवे स्टेशन लोगों से खचाखच भरा हुआ था । ट्रेनों की आवाजाही हो रही थी । अलग-अलग ट्रेनों के बारे में लाउडस्पीकर पर जानकारी दी जा रही थी । यह मुंबई का एक आम दिन था ।
अचानक से कुछ हुआ । गोलियाँ चलने लगी । कुछ ही पल में रेलवे स्टेशन पर अफरा-तफरी मच गयी । लोग जान बचाने के लिए इधर उधर भागने लगे । मुंबई पर आतंकी हमला हुआ था । आतंकवादी लोगों पर गोलियाँ बरसा रहे थे । कुछ ही पलों में रेलवे प्लेटफार्म पर लाशें बिखरी हुई थीं । कुछ लोग घायल हुए, दर्द से कराह रहे थे । वह दिन था २६ नवंबर २००८ का । इस हमले के बाद पूरा हिंदुस्तान सदमे में था ।
डर का एक माहौल बना था, लोग जान बचाने के लिए इधर उधर भाग रहे थे, तब उनके दिमाग का एक हिस्सा जिसे रेप्टाइल ब्रेन कहा जाता है, वह सक्रिय हो चुका था ।
तो अब सवाल यह है कि क्या हमारे दिमाग के उस हिस्से को जिसे रेप्टाइल ब्रेन कहा जाता है, उसे मन कहेंगे?
४. वर्षों से मैं ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट के क्षेत्र में एक सफल एन.एल.पी. मास्टर ट्रेनर के तौर पर काम कर रहा हूँ । सफलता के इस मुकाम तक पहुँचने के लिए मुझे बड़ा संघर्ष करना पड़ा । ट्रेनर बनने का पूरा सफर इतना भी आसान नहीं था, हर कदम पर नयी चुनौतियाँ थीं ।
वर्षों पहले जब मैंने एम.बी.ए. की पढाई खतम की तब मेरे पास एच.आर. मैनेजर के तौर पर काम करने के लिए तीन कंपनियों से ऑफर थे । अच्छा खासा पैकेज उस वक्त मुझे मिल रहा था । उस जॉब में सुरक्षितता भी थी । फिर भी मैंने ट्रेनर बनने का निर्णय लिया । उस वक्त मेरे सामने कुछ नहीं था, ना कोई रोडमैप था और ना कोई दिशा दिखाने वाला । मेरे अंदर सिर्फ एक एहसास था कि मैं इस क्षेत्र में सफलता की बुलंदियों को छू सकता हूँ । अधिकतर इस एहसास को जो मैंने महसूस किया उसे ‘गट फीलिंग’ कहा जाता है ।
मेरे पास उस वक्त सिर्फ यह ‘गट फीलिंग’ थी, जिसने मुझे विपरीत परिस्थितियों में भी लड़ने का उत्साह दिया । शायद यह गट फीलिंग दिमाग में नहीं थी, क्योंकि दिमाग तो तरह-तरह के सवाल पूछ कर मुझे भ्रमित कर रहा था ।
अब सवाल यह है कि क्या हमारी ‘गट फीलिंग’ जो हमें अपने शरीर के किसी हिस्से में महसूस होती है, उसे मन कहेंगे?
संक्षेप में ...
क्या प्रीफ्रंटल ब्रेन को मन कहेंगे?
क्या लिम्बिक सिस्टम को मन कहेंगे?
क्या रेप्टाइल ब्रेन को मन कहेंगे?
क्या गट फीलिंग को मन कहेंगे?
आखिरकार हम ‘मन’ किसे कहेंगे?
अब तक हम ने जो पढ़ा उसे आधारभूत मानकर मन के संदर्भ में दो निष्कर्ष निकल सकते हैं ।
१. मन कोई ठोस चीज नहीं है, जिसे हम छू सके ।
२. मन का कोई विशिष्ट स्थान नहीं है ।
तो फिर, क्या मन की कोई परिभाषा हो सकती है?
आज की हमारी वैज्ञानिक समझ के बल पर हम इतना कह सकते हैं ‘मन ऊर्जा और सूचना का प्रवाह है’ ।
ऊर्जा और सूचना इन दो शब्दों के बारे में थोड़ा सोचते हैं ।
ऊर्जा : हमारे विचार क्या है? क्या हमारे विचार ठोस है? क्या हम हमारे विचारों को छू सकते हैं? नहीं । फिर भी हमारे विचार हमें कितना जीवंत मालूम होते हैं, क्योंकि हमारे विचार एनर्जी या ऊर्जा से बने होते हैं । हमारे विचार बुनियादी तौर पर ऊर्जा का एक स्वरूप होते हैं ।
सूचना : किसी पान की दुकान के पास से गुजरने के बाद हमें सिगरेट की गंध आती है । जैसे ही वह गंध हमारे भीतर प्रवेश करती है, मन को उस गंध के संदर्भ में सूचना मिलती है । इस तरह से हर वक्त हमारा मन सूचनाओं का आदान-प्रदान करता है ।
संक्षेप में, हमारे भीतर लगातार बहने वाली इस ऊर्जा और सूचना के आदान-प्रदान को मन कह सकते हैं ।
मन की इस परिभाषा को विस्तार से हम अगले ब्लॉग में देखेंगे ।
(Daniel J. Siegel’s Definition of Mind “The human mind is a relational and embodied process that regulates the flow of energy and information.”)
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एन्जॉय योर लाइफ एंड लिव विथ पैशन !
Sandip Shirsat
Creator of MBNLP, Founder & CEO of IBHNLP
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Summary:
If you are looking for the answers to the following questions:
What is Mind? What is a mind & how does it work? What is the purpose of the mind? What is called mind? How to control the mind? How does a person think? What is the difference between the mind and the brain?
here are so many definitions of mind. We are trying to understand how the mind functions & controls our physic. With the example of Pablo Casals, the author wants to say how powerful our thoughts are. How they impact our life? Where do they come from? If we want to take control of our life, we need to take control of our own thoughts.
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