एम.बी.एन.एल.पी. में हम क्या सीखने वाले हैं?
पिछले ब्लॉग (एम.बी.एन.एल.पी. क्या है?) में हम ने दो तरह के माइंड की चर्चा की थी। जहाँ पर हम ने रिफ्लेक्टिव माइंड (चिंतनशील मन - विचारों के ऊपर विचार करने की मानसिकता) और डायरेक्ट माइंड (प्रत्यक्ष मन या वर्तमान में मौजूद होने की मानसिकता) के संदर्भ में विचार किया था । इन दोनों माइंड पर चर्चा करने के बाद जो निष्कर्ष हम ने निकाले वे कुछ इस प्रकार थे । -
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निष्कर्ष १. अगर हमें सफल, आनंद और संतोष से भरा जीवन जीना है, तो हमें रिफ्लेक्टिव माइंड और डायरेक्ट माइंड दोनों की जरूरत है । आमतौर पर हम विचारों के ऊपर विचार करने में तो सक्षम हो जाते हैं, पर उन्हें किस तरीके से नियंत्रित किया जाए यह हमें पता नहीं होता । इसीलिए हमारे विचार ही हमारी ज़िन्दगी को नरक बना देते हैं । हम अपने विचारों में इतना अटक जाते हैं कि ज़िन्दगी जीने के लिए हमारे पास समय ही नहीं बचता ।
निष्कर्ष २. हम वर्षों से विचारों के ऊपर विचार कर रहे हैं, फिर भी विचार तैयार कैसे होते हैं? विचारों का स्ट्रक्चर क्या होता है? अगर विचारों को बदलना है, तो कैसे बदला जाए? यह हमें पता नहीं होता । हमें सिर्फ इतना बताया जाता है कि विचारों को बदलो, पर उन विचारों को किस तरह से बदला जाए, इस पर कोई बात नहीं करता । यही कारण है कि हमारा रिफ्लेक्टिव माइंड ही हमारी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी समस्या बन जाता है, इसीलिए इस रिफ्लेक्टिव माइंड को नियंत्रित कर उसे दिशा देना बेहद जरूरी है।
निष्कर्ष ३. सिर्फ रिफ्लेक्टिव माइंड को नियंत्रित कर उसे दिशा देने से ही काम नहीं होगा, साथ साथ हमें डायरेक्ट माइंड का यानी वर्तमान में उपस्थित होने का अभ्यास करना होगा । हर वक्त चलने वाले विचारों के कारण हमारा वर्तमान से नाता टूट चुका है । हम सिर्फ खयालों की दुनिया में जीने लगे हैं । हमारे लिए विचार ही सब कुछ बन चुके हैं । जो विचार (रिफ्लेक्टिव माइंड) हमारे स्वर्णिम भविष्य की बुनियाद बन सकते थे, वे विचार हमारे पैरों की बेड़ियाँ बन चुके हैं । हमें इन विचारों से मुक्त होना होगा, हमें वर्तमान में आना होगा, हर पल का आनंद लेना होगा, इसीलिए रिफ्लेक्टिव माइंड को नियंत्रित करने के साथ-साथ हमें डायरेक्ट माइंड का अभ्यास करना होगा ।
निष्कर्ष ४. अपने रिफ्लेक्टिव माइंड को नियंत्रित कर उसे दिशा देने के लिए और स्वर्णिम भविष्य का निर्माण करने के लिए, हम एन.एल.पी. के टूल्स् इस्तेमाल करेंगे ।
तथा हमारे डायरेक्ट माइंड को समझने के लिए और वर्तमान में रहने का अभ्यास करने के लिए, हम माइंडफुलनेस के टूल्स् का इस्तेमाल करेंगे ।
संक्षेप में, एम.बी.एन.एल.पी. के साथ हम अपने स्वर्णिम भविष्य का निर्माण करेंगे और वर्तमान में रहकर ज़िन्दगी का आनंद भी ले पाएंगे ।
स्वर्णिम भविष्य के निर्माण हेतु “व्हील ऑफ़ एन.एल.पी.” पढ़ेंगे ।
वर्तमान में रहकर ज़िन्दगी का आनंद लेने हेतु ‘व्हील ऑफ़ अवेयरनेस’ के ऊपर प्रयोग करेंगे ।
एम.बी.एन.एल.पी. में हमारा पाठ्यक्रम
एम.बी.एन.एल.पी. में हम क्या सीखने वाले हैं? इस सवाल का जवाब एक उदाहरण के साथ देता हूँ । एन.एल.पी. में न्यूरोलॉजिकल अलाइनमेंट नामक टूल का इस्तेमाल सपनों को साकार करने के लिए या समस्याओं को सुलझाने के लिए करते हैं । उदाहरण के तौर पर अगर हमें अपना कोई सपना साकार करना है, तो सपने को प्राप्त करने के लिए इस टूल के माध्यम से अलग अलग लेवेल्स पर सोचते हैं । जैसे कि
एनवायरमेंटल लेवल (आपका परिवेश),
बिहेवियरल लेवल (आपका व्यवहार),
कैपेबिलिटी लेवल (आपके कौशल और आपकी क्षमताएँ),
बिलीफ और वैल्यू लेवल (आपकी धारणाएँ और मूल्य),
आइडेंटिटी लेवल (आपकी पहचान) और
स्पिरिचुअल लेवल (आपका तत्वज्ञान) ।
संक्षेप में, अगर आपको अपना कोई सपना पूरा करना है, तो आपको हर लेवल के ऊपर स्वयं को तैयार करना होगा, जिसकी शुरुवात ‘एनवायरमेंटल लेवल’ से होगी ।
एन.एल.पी. के इस टूल के साथ मैंने हजारों लोगों को उनका सपना पूरा करने के लिए मदद की है । यह टूल बेहतरीन है, फिर भी कई बार यह टूल कई लोगों के साथ असफल हो जाता है । क्योंकि कई बार लोगों को अपने सपने के संदर्भ में बहुत कंफ्यूजन होता है । अगर किसी को उसका सपना क्या होना चाहिए, इस संबंध में ही उलझन है, तो एन.एल.पी. के इस बेहतरीन टूल का काम करना कठिन हो जाएगा । इसीलिए काउंसलिंग सेशन के दौरान क्लाइंट के सपने पर काम करने से पहले मैं उसे कुछ सवाल पूछता हूँ, जैसे कि ...
क्या आपका सपना आपका ही है? क्या आपका सपना आपके भीतर से आ रहा है? क्या आपका सपना ऐसा है जिससे आप हद से ज्यादा प्यार करते हैं?
कई बार हमारे सपनें, हम जिस समाज में पैदा हुए हैं, उसकी देन होते हैं । सोशल कंडीशनिंग से जो सपने निर्मित होते हैं, वह सपने पूरा होने के बाद भी हमें समाधान नहीं देतें, क्योंकि इस तरह के सपने हमारे अंदर निर्मित नहीं होतें, उनको हमारे उपर थोपा जाता है, इसीलिए ‘मुझे सही में क्या पाना है? या What do I really want?’ इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए खुद के भीतर उतरना होगा । हमें खुद के भीतर थोड़ी खोजबीन करनी होगी । खुद के भीतर झांकने के लिए और उस सपने को पहचानने के लिए हमें माइंडफुलनेस की विधियाँ मदद करेगी । यहाँ पर हम माइंडफुलनेस के तीन टूल्स् के ऊपर काम करेंगे ।
हम एन.एल.पी. का टूल ‘न्यूरोलॉजिकल लेवल अलाइनमेंट’ को सीखने के लिए माइंडफुलनेस के टूल्स् की मदद लेंगे, जिससे हम बेहतर परिणाम अर्जित कर सकें ।
संक्षेप में, हम एन.एल.पी. के अलग-अलग टूल्स् के साथ किस तरीके से माइंडफुलनेस की विधियों को मिलाना यह सीखेंगे, जिससे हम बेहतर परिणाम अर्जित कर सकें और समस्याओं का आसानी से समाधान करते हुए, बेहतर भविष्य को निर्मित कर सकें ।
कुछ महत्वपूर्ण टॉपिक्स जो एम.बी.एन.एल.पी. में हम सीखेंगे ।
१. माइंडफुलनेस
२. एन.एल.पी.
३. एन.एल.पी. और माइंडफुलनेस का संयोजन
४. एम.बी.एन.एल.पी. के साथ स्वर्णिम भविष्य का निर्माण
५. एम.बी.एन.एल.पी. की मदद से मानसिक समस्याओं से छूटकारा
६. वर्तमान में जीने की कला
७. खुद के इनट्यूशन (अंतः प्रज्ञा) के साथ तादात्म्य बिठाना
८. कॉन्शियस माइंड, सबकॉन्शियस माइंड के अलावा नो माइंड का अनुभव लेना
९. इंटरनल रिप्रेजेंटेशन (विजुअल, ऑडिटरी एंड काइनेस्थेटिक) को माइंडफुलनेस के साथ नियंत्रित करना
१०. कोचिंग और काउंसलिंग करते समय ‘बिगिनर्स माइंड’ में रहने की तकनीक सिखाना
११. बिलीफ या धारणाओं से स्वतंत्रता
१२. एम.बी.एन.एल.पी. के मौलिक सिद्धांतों का अभ्यास
इसके अलावा हम ने एन.एल.पी. प्रैक्टिशनर में जो सीखा है, उसका रिवीजन भी करेंगे और माइंडफुलनेस के टूल्स् भी सीखेंगे ।
आशा करता हूँ कि यह ब्लॉग आपको अच्छा लगा होगा, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें । चलो तो फिर मिलते हैं अगले ब्लॉग में, तब तक के लिए ...
एन्जॉय योर लाइफ एंड लिव विथ पैशन !
Mranal Gupta
Creator of MBNLP, Founder & CEO of IBHNLP
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Summary:
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