हर क्षण को आनंद से जीने की कला
(माइंडफुलनेस क्या है?) पार्ट - १
अब आपको कुछ पलों के लिए कल्पना करनी है ।
एक दिन ऑफिस का समय खत्म होने के बाद आप घर के लिए निकल पड़े हैं । आपका दिन अच्छा नहीं गया है । बॉस के साथ किसी बात पर आपके मतभेद हुए हैं । दिनभर ऑफिस में घटी घटनाओं के कारण आप गुस्सा है, निराश है और थक चुके हैं । कुछ देर बाद आप घर पहुँचते हैं और आपको समझ में आता है, कि पूरे मोहल्ले की लाइट चली गई है । आप ताला खोलते हैं, घर के अंदर घना अंधेरा छाया है । आप मोबाइल का टॉर्च लगाने की कोशिश करते हैं, किंतु मोबाइल की बैटरी खत्म हो चुकी है । आपको और गुस्सा आ रहा है ।
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इलेक्ट्रिक बोर्ड को आप गालियाँ दे रहे हैं । घर में माचिस की डिब्बी आप ढूंढ रहे हैं । मन में बॉस के साथ हुए मनमुटाव के बारे में सोच रहे हैं । उस अंधेरे में अचानक आप का पैर टेबल से टकरा जाता है और पैर के अंगूठे में दर्द होने लगता है । आप नीचे बैठ जाते हैं और खुद से ही बातें करने लगते हैं, "यह आजकल मेरे साथ क्या हो रहा है । मैं थक चुका हूँ । इस नौकरी से तंग आ चुका है । मेरे बॉस ने मेरा जीना हराम कर रखा है । दूसरी जॉब ढूंढ रहा हूँ, पर वह भी नहीं मिल रही है । मैं जिंदगी से तंग आ चुका हूँ ।"
अब आप जरा सोचिए, क्या इस तरह दिनभर घटी घटनाओं पर प्रतिक्रिया देने से आपके पैर में हो रहा दर्द बढ़ेगा या कम होगा? क्या इस तरह के विचारों से उस घटना की नकारात्मक तीव्रता बढ़ेगी या कम होगी? क्या इस तरह की सोच से जिंदगी में आनंद आएगा या दुख?
एक और उदाहरण से इसे समझने की कोशिश करते हैं । एक दिन सुबह 5 से ६ दोस्त डेनियल के घर पहुँचे और उसे और उसकी पत्नी को उनके साथ ट्रैकिंग पर चलने का अनुरोध करने लगे* । उस दिन डेनियल को घर से बाहर निकलने की बिल्कुल इच्छा नहीं थी, क्योंकि उसको कुछ जरूरी ईमेलस भेजने थे और घर के लिए कुछ सामान भी खरीदना था । इसलिए वह दोस्तों को 'ना' कह रहा था । दोस्त भी मानने के लिए राजी नहीं थे । दोस्तों ने कहा,' अगर तुम दोनों हमारे साथ नहीं आओगे तो आज हम यहीं रहेंगे ।' आखिरकार दोस्तों के आगे वह विवश हो गया और उसकी पत्नी को लेकर उनके साथ ट्रैकिंग के लिए निकल गया ।
कुछ घंटों के सफर के बाद, दुनिया की भीड़-भाड़ को छोड़कर सारे दोस्त कुदरत की पनाह में पहुँचे थें । पहाड़ों में घूम रहे थें, प्रकृति का आनंद उठा रहे थें और साथ ही साथ हंसी मजाक भी चल रहा था । एक गुफा की तरफ आगे बढ़ रहे थें और तभी डेनियल और उसकी पत्नी का पैर फिसला और दोनों 10 फीट नीचे गड्ढे में गिर गए । दोनों को चोटें आई, थोड़ा सा खून भी बह रहा था, दोनों को दर्द हो रहा था । बड़ी मशक्कत के बाद दोस्तों ने दोनों को बाहर निकाला ।
बाहर निकलने के बाद डेनियल चिल्लाने लगा, "मैंने कहा था कि मुझे नहीं आना है, मुझे इस ट्रैकिंग से घिन आती है, शायद मेरे पैर की हड्डी टूट चुकी है, मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है, मैं ट्रैकिंग को आने के लिए राजी ही क्यों हुआ, मुझे यहाँ नहीं आना था और फिर उसने दोस्तों को गालियाँ देनी शुरू की ।'
दूसरी तरफ उसकी पत्नी शांत थी, उसकी पत्नी ने कहा,"मैं यहाँ शहर से दूर एक अनजानी जगह पर हूँ, पहाड़ पर चढ़ते हुए मेरा पैर फिसल गया और मुझे लगता है कि मेरी कुछ हड्डियां भी टूट चुकी है । मुझे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है । मुझे लगता है कि शायद धीरे-धीरे सांस लेने से मुझे अच्छा लगेगा । जिंदगी में इस प्रकार के हादसे होते रहते हैं और मेरे साथ भी आज एक हादसा ही हुआ है ।’
डेनियल की प्रतिक्रिया और उसकी पत्नी की प्रतिक्रिया में क्या फर्क है?
डेनियल की प्रतिक्रिया में गुस्सा है, पछतावा है और दुख है ।
दूसरी तरफ उसकी पत्नी की प्रतिक्रिया के उपर को थोड़ा गौर करें । शायद पत्नी को भी उतना ही दर्द हो रहा है पर उसकी प्रतिक्रिया में एक खुलापन है, जिज्ञासा है, स्वीकार भाव है और प्यार भी है ।
अब आप ही सोचिए, दोनों को दर्द हो रहा है, उस दर्द की शारीरिक तल पर जो तीव्रता है, वह भी समान है पर मानसिक तल पर दोनों में से किसको ज्यादा दर्द महसूस हो रहा होगा? दोनों में से किसकी सोच जिंदगी को बेहतर तरीके से जीने में मदद कर सकती है? दोनों में से किसकी सोच के साथ जिंदगी में निर्मित होने वाली समस्याओं को हम आसानी से सुलझा पाएंगे?
अगर हमें हमारी जिंदगी में परिवर्तन लाना है, तो जाहिर तौर पर हमें हमारी प्रतिक्रियाओं को बदलना होगा । हमारी प्रतिक्रियाएं हमारे जीवन को तथा हमारे भविष्य को निर्मित करती है । जिस तरह से हम घटनाओं पर प्रतिक्रिया कर रहे हैं, उन्हीं प्रतिक्रियाओं का सार हमारा जीवन होता है ।
इसलिए माइंडफूलनेस में हम हमारी इन प्रतिक्रियाओं के बारे में सजग होते हैं । हम भूतकाल और भविष्यकाल से मन को निकाल कर वर्तमान में उपस्थित होते हैं । वर्तमान में जो कुछ भी घट रहा है, उसके प्रति हमारे मन में जिज्ञासा और उत्सुकता का भाव होता है । घटनाओं और लोगों के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं होता, जो कुछ भी घट रहा है उसका हम खुले दिल से हम स्वागत करते हैं । जीवन में घटने वाली हर घटना के प्रति स्वीकार भाव होता है और प्रेम पूर्वक नजरों से हम हर घटना को देखते हैं ।
तो क्या आप आपकी जिंदगी में घटने वाली हर घटना को जिज्ञासा, उत्सुकता, बिना कोई पूर्वाग्रह के, खुले दिल से और प्रेम पूर्वक नजरों से देखने का अभ्यास करेंगे?
माइंडफूलनेस क्या है? इसके ऊपर अगले ब्लॉग में और चर्चा करेंगे ।
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एन्जॉय योर लाइफ एंड लिव विथ पैशन !
Sandip Shirsat
Creator of MBNLP, Founder & CEO of IBHNLP
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Summary:
What is mindfulness? How can be mindful & change the results we are getting in our life? Being mindful is an art as well as the secrete of happiness. In this blog, with two separate examples, we tried to understand how our own thinking makes our own life hell or heaven.
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