हर क्षण को आनंद से जीने की कला
(माइंडफुलनेस क्या है?) पार्ट - २
कुछ सवालों के साथ इस ब्लॉग की शुरुवात करते हैं । नीचे दिए हुए तीन सवालों पर सोचना है । पढ़ने की जल्दी ना करें । हर सवाल पर शांति से सोच विचार करें ।
१. कल शाम के समय आप क्या कर रहे थे?
२. उस समय आपके दिमाग में कौन से विचार चल रहे थे?
३. उस समय आप कितना आनंदित महसूस कर रहे थे?
(१-१० की स्केल पर । एक का मतलब पूरी तरह से निराश और १० का मतलब आनंद से सराबोर ।)
यदि आप इस ब्लॉग सीरीज का पहला ब्लॉग पढ़ना चाहते हैं, तो यहाँ क्लिक करें ।
If you want to read the same article in English, please click here.
वैसे तो ‘माइंडफुलनेस’ विषय पर दुनिया भर में अब तक हजारों रिसर्च हुए हैं । उन रिसर्च में से एक खास और अलग रिसर्च पर आज हम चर्चा करेंगे । कुछ वर्षों पहले अमरिका में दो साइकोलोजिस्ट ने माइंडफुलनेस के उपर एक बेहतरीन रिसर्च किया । रिसर्च के लिए उन्होंने २००० लोगों का चुनाव किया । इन २००० लोगों को उनके स्मार्टफोन पर ३ सवाल भेजे जाते थे, उन्हें उन सवालों के जवाब देने थे । दिन में या रात में कभी भी यह सवाल भेजे जाते थे और अपेक्षित यह था कि वह तुरंत जवाब भेजें । सवाल कुछ इस प्रकार से थे,
१. अब आप क्या कर रहे हैं?
२. इस समय आप क्या सोच रहे हैं?
३. इन पलों में आप कितना आनंदित महसूस कर रहे हैं?
यह पूरा रिसर्च हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के दो साइकोलोजिस्ट ने किया, जिनके नाम है, मैथ्यू किलिंगसवर्थ और डेनियल गिलबर्ट और इस रिसर्च का एनालिसिस ‘साइंस मैगज़ीन’ में पब्लिश हुआ था ।
इन तीन सवालों के जवाब में तीन सबसे महत्वपूर्ण वस्तुस्थितियाँ सामने आई, जो इस प्रकार थी ।
०१.४७ परसेंट बार ऐसा हुआ कि लोग जो कुछ कर रहे थे, उस पर उनका पूरा फोकस नहीं था । वे जो कुछ काम कर रहे थे, उस काम पर उनका पूरा ध्यान नहीं था, काम करते समय वे किसी दूसरी घटना के बारे में सोच रहे थे । उदाहरण के तौर पर कोई गाड़ी चला रहा था और गाड़ी चलाते हुए अपने बॉस के बारे में सोच रहा था, कोई कॉफी पी रहा था और कॉफी पीते हुए अपनी गर्लफ्रेंड के बारे में सोच रहा था ।
२. दूसरा निष्कर्ष यह निकला कि जब लोगों का मन यहाँ-वहाँ भटक रहा था, तब उन्हें ज्यादा दुःख महसूस हुआ । इसके विपरीत जब मन भटक नहीं रहा था, तब वे ज्यादा आनंदित थे । इसका एक मतलब यह भी हुआ कि जब लोग कुछ काम कर रहे थे, तब उस काम के ऊपर उनका फोकस नहीं था और वे कुछ अलग सोच रहे थे और ज्यादातर यह सोचना नकारात्मक था, जिससे वे दुःख महसूस कर रहे थे ।
३. हमें अक्सर यह बताया जाता है कि जो काम आप कर रहे हैं, यदि उससे आपको प्यार नहीं है, तो आप दु:खी होंगे । व्यक्तित्व विकास की किताबों में तो हर समय यह मूल मंत्र के तौर पर सिखाया जाता है, ‘जो काम आपको अच्छा लगे आप वहीं करें, तभी आप सफल होंगे ।’ हकीकत में ‘हम क्या करते हैं’ उससे ज्यादा ‘काम करते समय हम क्या सोचते हैं’ इस पर हमारा आनंदित होना निर्भर करता है । इसलिए आप 'जो कुछ कर रहे हैं' इससे भी महत्वपूर्ण आप 'जिस तरीके से सोच रहे हैं' या ‘उस समय आपकी मानसिकता जिस तरह की है’ इस आधार पर आप कितने आनंदित हैं, इसके बारे में बेहतर तरीके से अनुमान लगाया जा सकता है । असल में काम करते समय जो लोग काम के साथ एकरूप हो जाते हैं, वे लोग ज्यादा आनंदित पाए गये ।
अंत में इस रिसर्च से पांच निष्कर्ष निकाले गये ।
१. हमारा मन हर समय भटकता रहता है और यह भटकने वाला मन अधिकतर दु:ख का ही अनुभव करता है । उदाहरण के तौर पर, एक दिन सुबह आप को स्कूल के लिए निकलता हुआ बच्चा दिखाई देता है । उसे देख कर आपके दिमाग में अपने स्कूल के दिनों की स्मृतियाँ उभरने लगती हैं । जैसे ही आप अपने स्कूल के दिनों को याद करना शुरू करते हैं, स्कूल से जुडी हुई अलग अलग यादें आपके दिमाग में आने लगती हैं, अब आपके दिमाग में आगे चलकर कौन से विचार या स्मृतियाँ आने लगेंगी इस पर आपका कोई नियंत्रण नहीं रहता । अधिकांश यह देखा गया है कि इस तरीके से जब विचारों पर नियंत्रण नहीं होता और मन भटकता रहता है, तब नकारात्मक विचार या नकारात्मक यादें मन में आने लगती है । यही भटकने वाला मन हमारे दुःख का कारण बन जाता है ।
२. ‘जो नहीं है’ उसके बारे में सोचने की मानवीय मन की शक्ति कई बार दुःख निर्मित करती है, परंतु यह शक्ति मानवीय विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है । इसी शक्ति की बदौलत हम सपने देख पाते हैं और उन्हें पूरा भी कर पाते हैं, किन्तु हर बार ‘जो नहीं है’ उसके बारे में सोचते रहने से हम अपनी ज़िन्दगी खराब कर लेते हैं और दुर्भाग्य से हम यह देख भी नहीं पातें ।
३. इस रिसर्च से एक और निष्कर्ष निकला है, हम सबसे ज्यादा आनंदित तब होते हैं, जब हमारा मन भटकना छोड़ देता है । इसका मतलब यह हुआ कि जब हम माइंडफुलनेस की अवस्था में होते हैं, तब हम सबसे ज्यादा आनंदित होते हैं । माइंडफुलनेस की अवस्था में हम वर्तमान में होते हैं । जो कुछ हम कर रहे हैं, उसीके साथ एक रूप हो जाते हैं । हम अतीत में हुई घटनाओं की स्मृतियों को किनारे रख देते हैं तथा भविष्य की चिंताओं को छोड़कर, वर्तमान में स्थिर हो जाते हैं ।
४. ज्यादातर लोग कहते हैं कि वे दुःखी हैं, क्योंकि उन्हें जो अच्छा लगता है, वो काम वे नहीं कर पा रहे हैं । उदाहरण के तौर पर कुछ लोग कहते हैं कि उन्हें ट्रैकिंग जाना पसंद हैं, किन्तु वे दिन भर कंप्यूटर पर काम करते हैं, कुछ लोगों को सिखाना पसंद है, पर वे इंजीनियर बन चुके हैं, कुछ लोगों को बातें करना पसंद है, पर दिन भर वे अकाउंटेंट के तौर पर हिसाब किताब करने में व्यस्त होते हैं । किन्तु इस रिसर्च से हमें यह पता चला कि हमारे मन का भटकना और हम जो एक्टिविटी या काम कर रहे हैं, उसमें ज्यादातर बार ना के बराबर संबंध होता है, क्योंकि इस दुनिया में बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जिन्हें अपना पसंदीदा काम या केरियर मिल जाने के बावजूद कुछ वर्षों बाद वे उस पसंदीदा केरियर से ऊब गये ।
संक्षेप में, चाहे आप बर्तन धो रहे हों, या इस दुनिया के सबसे बेहतरीन और महंगे होटल में खाना खा रहे हों, इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता, हमारा मन भटकता ही रहता है । यदि मन भटक रहा है, तो इसकी कोई गारंटी नहीं कि आप खुश महसूस करेंगे, क्योंकि भटकने वाले मन पर कोई नियंत्रण नहीं होता तथा ज्यादातर वह दुःख निर्मित करता है । इसलिए इस दुनिया के सबसे बेहतरीन और महंगे होटल में खाना खाना इस बात की कोई गारंटी नहीं होती कि आप उस खाने को एंजॉय कर पाएंगे । रिसर्च के अनुसार सबसे बेहतरीन और महंगे होटल में खाना खाते हुए भी ज्यादातर संभावना यह है कि आप किसी दूसरी चीज, परिस्थिति या लोगों के बारे में सोच रहे होंगे, उस खाने को एंजॉय करने के बजाय ।
५. इस पूरी रिसर्च में सिर्फ एक ऐसी एक्टिविटी पाई गयी, जहाँ पर मन का भटकना बहुत कम था और वह एक्टिविटी थी सेक्स । अच्छी बात यह है कि आज भी अधिकांश लोग सेक्स करते हुए सिर्फ सेक्स ही करते हैं, सोचते नहीं है । सिर्फ १० परसेंट लोगों ने यह माना कि सेक्स करते हुए भी वह किसी और चीज के बारे में या किसी दूसरे व्यक्ति के बारे में सोच रहे थे । इस रिसर्च को पढ़ने के बाद, क्या आपको नहीं लगता कि वर्तमान में रहने का अभ्यास करना बेहद जरूरी है? माइंडफुलनेस पर अगले ब्लॉग में और विस्तार से चर्चा करेंगे ।
आशा करता हूँ कि यह ब्लॉग आपको अच्छा लगा होगा, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें । चलो तो फिर मिलते हैं अगले ब्लॉग में, तब तक के लिए ...
एन्जॉय योर लाइफ एंड लिव विथ पैशन !
Mranal Gupta
Creator of MBNLP, Founder & CEO of IBHNLP
इसी सन्दर्भ में और कुछ ब्लॉग पढ़ने के लिए नीचे दिये शीर्षकोंपर क्लिक करें ।
Summary:
What is mindfulness? How can be mindful & change the results we are getting in our life? Being mindful is an art as well as the secrete of happiness. In this blog, with case studies, we tried to understand how our own thinking makes our own life hell or heaven. Being alert, aware & mindful, help us enjoy this moment. It’s not what you do, but how you do it, is important. Mindfulness-based Neuro-Linguistic Programming teaches us to be aware in the moment & enjoy it.
At first step, in 'NLP Practitioner, NLP Coach, Hypnosis Practitioner & Life Coach Certification Course', we precisely learn how our brain functions. How thoughts are framed? What is their structure of our thoughts?
In 6 Days intensive NLP Practitioner, NLP Coach, Hypnosis Practitioner & Life Coach Certification Workshop in Pune, Ahmedabad, Delhi, Mumbai, Bangalore, we learn the secrets of personal & professional transformation. People from all walks of life get benefited through NLP, Hypnosis & Life Coaching. Teachers, Trainers, Manager, Business Heads, CEOs, CFOs, Students even housewives attend the NLP Workshop & feel the drastic change in their life. This Course exclusively covers all the major aspects of NLP, Hypnosis & Life Coaching. Now get the best NLP Training in India at the affordable rates. Participants of NLP Practitioner Course anywhere in India also get Free Training & Certification in Hypnosis & Life Coaching. Hurry Up! Don’t miss the opportunity to get trained in NLP by the best NLP Master Trainer & Life Coach in India. Learn NLP in Hindi as well as in English. All course content is provided in Hindi as well as in English. Learning NLP in Hindi will be of great help if your mother tongue is Hindi or your client is using Hindi as his/her mother tongue.