हम वास्तविकता किसे कहेंगे? पार्ट २
स्टोन एज में मनुष्य की अलग-अलग प्रजातियाँ थीं । उन अलग अलग प्रजातियों में से सिर्फ एक प्रजाति खुद को जिंदा रख पाई और बाकी प्रजातियाँ समय के साथ लुप्त हो गयी । हम उस प्रजाति के वंशज हैं, जो मनुष्य की बाकी प्रजातियों के मुकाबले बेहतर थी । क्या आप मनुष्य की उस प्रजाति का (हमारे पूर्वजों की प्रजाति का) नाम बता पाएंगे?
होमोसेपियन ।
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युवल हरारी जो इतिहासकार है, इस संदर्भ में कुछ सवाल पूछते हैं, क्यों होमोसेपियंस मनुष्य की बाकी प्रजातियों की तुलना में बेहतर साबित हुए? मनुष्य की बाकी प्रजातियाँ खतम हो गयी पर होमोसेपियंस स्वयं को किस तरह से बचा पाएँ? इन सवालों के जवाब में युवल हरारी कुछ तर्क देते हैं ।
१. होमोसेपियंस ने एक दूसरे के साथ संवाद करने के लिए भाषा को विकसित किया ।
२. होमोसेपियंस बड़ी संख्या में एक दूसरे के साथ सहयोग करने में सक्षम थे । (चिंपांजी ज्यादा से ज्यादा ५० के समूह में रहते थे ।) होमोसेपियंस १५० से ज्यादा बड़ी संख्या के समूह में रहते थे ।
३. किसी भी समूह को एक साथ रखने के लिए सिर्फ भाषा ही काफी नहीं होती । समूह को एक साथ रखने के लिए कहानियों को भी निर्मित करना पड़ता है । कहानियाँ धर्म के बारे में, भगवान के बारे में, जीवन के बारे में, मृत्यु के बारे में, इत्यादि । होमोसेपियंस इस तरह से कहानियों की कल्पना करने में सक्षम थे । इन कहानियों ने बड़ी संख्या में लोगों को एक साथ रखा, एक दूसरे का सहयोग करने के लिए एक तरह से बाध्य किया ।
संक्षेप में, आज का मनुष्य (होमोसेपियंस के वंशज) यानी हम इस दुनिया पर राज कर रहे हैं क्योंकि हमारे पास समूह को बांधकर रखने के लिए कहानियाँ हैं ।
आज से लगभग २०,००० वर्ष पहले की घटना* । जंगलों की वह दुनिया उस वक्त बेहद खतरनाक थी । जो ताकतवर था वह जिंदा रह सकता था । इंसान भी जानवरों की तरह खाना जुटाने के लिए छोटी छोटी टोलियों में शिकार करता था । उस वक्त यूरोप में एक छोटा सा कबीला था । यह कबीला एक शिकारी कबीला था । उस कबीले का एक मुखिया था और मुखिया का एक बेटा था, जिसका नाम था केडा । मुखिया कबीले के बाकी युवाओं के साथ केडा को भी शिकार के गुर सिखाता था । पर केडा थोड़ा कमजोर था, शिकार करने में हिचकिचाता था, शायद थोड़ा डरता भी था ।
एक दिन पूरा कबीला शिकार के लिए निकला, जिस में केडा और उसके पिताजी भी हैं । दूर से ही जंगली भैंसों का एक झुंड उन्हें दिखाई देता है । रणनीति बनती है उन भैसों का शिकार करने की । दबे पाँव से छुपते-छुपाते हुए कबीले के सभी शिकारी उन भैंसों के नजदीक जाते हैं । शिकार करने से पूर्व सब लोग जमीन पर लेटे हुए हैं, एकदम सन्नाटा पसरा हुआ है, स्वयं के ह्रदय की धड़कने भी उन्हें सुनाई दे रही हैं । सारे शिकारी हमला करने के लिए तैयार हैं, सिर्फ मुखिया के आदेश का इंतजार हैं ।
मुखिया चिल्लाता है ‘हमला करो’, सभी शिकारी जंगली भैंसों पर टूट पड़ते हैं । जंगली भैंसे अचानक हुए इस हमले से हड़बड़ा जाती हैं और इधर-उधर भागने लगती हैं । शिकारी उन जंगली भैंसों के पीछे भाला ले कर दौड़ रहे हैं । अचानक एक भैंस पलट कर हमला बोल देती है । केडा की तरफ पूरे आवेग से दौड़ने लगती है और कुछ ही पलों में केडा को अपने सींगों से उठाकर नदी में फेंक देती है ।
यह सब कुछ इतना जल्दी हो जाता है कि केडा को बचाने के लिए अन्य शिकारियों को समय भी नहीं मिलता । एक ऊंचे पर्वत से केडा के पिता अपने बेटे को बचाने के लिए नदी में कूदने की कोशिश करते हैं पर कबीले के बाकी सदस्य उन्हें पकड़ लेते हैं, क्योंकि पर्वत से नीचे गिरने के बाद केडा के बचने की संभावना ना के बराबर है । अंत में केडा मर गया यह समझ कर सब लोग दुःखी मन से घर के लिए चल पड़ते हैं ।
इधर नदी में गिरा हुआ केडा मरा नहीं है, सिर्फ जख्मी हुआ है । जब वह होश में आता है, तो खुद को अकेला पाता है । उसे गहरा सदमा पहुँचता है, वह डर जाता है, चिल्लाने लगता है, रोने लगता है । केडा घर से बहुत दूर आ चुका है, घर लौटने का रास्ता उसे पता नहीं है, जख्मी भी हो चुका है । किसी तरह से खुद को संभालते हुए वह आगे बढ़ता है ।
इतनी समस्याएँ शायद कम थी कि एक और समस्या खड़ी हो जाती है । कुछ जंगली भेड़िए उस पर हमला कर देते हैं, जख्मी केडा पूरी ताकत के साथ उनसे बचने के लिए दौड़ पड़ता है और एक पेड़ पर चढ़ जाता है । एक भेड़िया केडा का शिकार करने के लिए पेड़ पर चढ़ने की कोशिश करता है । खुद को बचाने के लिए केडा उस भेड़िए पर हमला करता है और वह भेड़िया जख्मी होकर उस पेड़ के नीचे गिर जाता है । ऐसे में उस जख्मी भेड़िए को वहीं छोड़कर बाकी भेड़िए वहाँ से चले जाते हैं ।
कुछ देर बाद केडा नीचे उतरता है और उस जख्मी भेड़िए को मारने के लिए भाला उठाता है । पर रुक जाता है, जख्मी भेड़िए पर केडा को दया आ जाती है तथा उस भेड़िए को बचाने प्रयास में उसे उठाकर एक गुफा में ले जाता है । उसके जख्मों पर कुछ औषधीय पत्ते लगाता है । उसे खाना देता है । उसकी देखभाल करता है । धीरे-धीरे उस जंगली भेड़िए और केडा में दोस्ती हो जाती है ।
अब दोनों मिलकर आने वाली समस्याओं से निपटते हैं । बर्फीले तूफान में भी एक दूसरे का साथ नहीं छोड़तें और जब जंगली प्राणियों द्वारा हमला होता है, तब दोनों एक दूसरे की जान बचाने के लिए पूरी ताकत से लड़ते हैं । इस तरह हर समस्या का मुकाबला करते हुए, कई दिनों बाद केड़ा और वह भेड़िया कबीले तक पहुँचने में सफल हो जाते हैं ।
कहा जाता है कि केड़ा और उस जंगली भेड़िए की कहानी ने कबीले की आने वाली पीढ़ियों को लड़ने का जज्बा सिखाया, दोस्ती का पाठ पढ़ाया और उनके सामने एक हीरो खड़ा किया । केडा जैसा बनने का सपना कबीले प्रत्येक युवा देखता था ।
यह कहानी असल हो या काल्पनिक, पर इसने कबीले को एक आदर्श दिया, एक हीरो दिया, उन्हें एक साथ जोड़कर रखा । इस तरह की अन्य कहानियों से उस कबीले का इतिहास बना और इस इतिहास ने ‘हम सब एक है’ यह विश्वास कबीले में निर्मित किया ।
इसलिए युवल हरारी कहते हैं, मनुष्य द्वारा कहानियों को निर्मित करने की क्षमता ने समाज को बांधकर रखा, लोगों को एक दूसरे का सहयोग करने के लिए प्रेरित किया और इससे मनुष्य की प्रजाति पृथ्वी पर सबसे ताकतवर प्रजाति बनी । इन्हीं कहानियों से धर्म बना, इतिहास बना, देश बना, समाज बना और मनुष्य बना ।
शिवपूराण में कही गयी एक कहानी के जरिए हम इस बिंदु को समझने की कोशिश करते हैं । माता पार्वती ने अपने शरीर पर लगाये गये उबटन को निकालने के बाद उसका एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डाल दिए । इस तरीके से भगवान गणेश का जन्म हुआ ।
एक दिन गणेश जी द्वार पर बैठे थे और शिवजी वहाँ पर पहुँच गये । गणेशजी ने उन्हें घर के भीतर प्रवेश करने से रोक दिया और गुस्से में शिवजी ने बाल गणेश का सिर काट डाला । बाद में जब उन्हें पता चला कि पार्वती ने गणेश की रचना की थी, तब उस कटे हुए सिर के बदले एक हाथी का सिर शिवजी ने गणेशजी के शरीर को जोड़ दिया और उस शरीर में प्राणों का संचार कर दिया ।
यह कहानी सच है या काल्पनिक इसकी चर्चा में हम नहीं जाएंगे । किन्तु इस तरह की कहानियों ने एवं कहानी कहने की क्षमता ने मनुष्यों को बांधकर रखा । गणेश उत्सव के नाम पर लोकमान्य तिलक ने लाखों लोगों को इकट्ठा किया, उसे धार्मिक उत्सव का नाम दिया और लोगों की उस शक्ति का भारत को स्वतंत्र करने के लिए इस्तेमाल किया ।
इस तरह एक साथ काम करने की क्षमता ने होमोसेपियंस (आज के मनुष्य) को दुनिया की सबसे ताकतवर प्रजाति बना दिया, क्योंकि होमोसेपियंस संवाद से आगे बढ़े, उन्होंने कहानियाँ कहीं और उन कहानियों ने लाखों लोगों को आपस में जोड़ कर रखा, उन्हें लड़ना सिखाया, उन्हें एकता का एहसास दिया ।
अब सवाल यह है कि हम वास्तविकता किसे कहेंगे? हम ने ‘देश’ नाम की कहानी गढ़ी और आगे चलकर यह कहानी हमारी वास्तविकता बनी । हम ने रोजमर्रा की ज़िन्दगी आसान हो इसलिए ‘पैसा’ नाम की कहानी गढ़ी और आज वहीं कहानी हमारी वास्तविकता बन चुकी है । हम ने ‘धर्म’ नाम की एक कहानी गढ़ी और धर्म हमारी वास्तविकता बन चुका है ।
तो वास्तविकता क्या है? क्या आपको नहीं लगता कि हम कहानी गढ़ लेते हैं और बाद में भूल जाते हैं कि यह सिर्फ एक कहानी थी, हम उस कहानी को वास्तविकता मानने लगते हैं । संक्षेप में, ज़िन्दगी में कोई वास्तविकता है ही नहीं, हमारी कहानियाँ ही हमारी वास्तविकता बन जाती हैं । ज़िन्दगी में काम चलाने के लिए हम ने कुछ कहानियाँ गढ़ी हैं और हम भूल गयें कि वे सिर्फ कहानियाँ है । हम उन कहानियों को सच मानने लगें और हमारी ज़िन्दगी पूरी तरह से उन कहानियों पर निर्भर हो गयी ।
अंत में कुछ सवालों के साथ आपको छोड़ जाता हूँ । आपने खुद के व्यक्तित्व के बारे में कौन सी कहानियाँ गढ़ी हैं, जिन्हें आप वास्तविक मानकर चल रहे हैं? पैसे के बारे में आपने क्या कहानियाँ गढ़ी हैं? धर्म के बारे में आपकी कौन सी ऐसी कहानियाँ हैं, जो आपकी वास्तविकता का निर्माण कर रही है? संबंधों के बारे में आपने ऐसी कौन सी कहानियाँ सुनी हैं, जिन पर आप यकीन करते हैं? क्या आपकी यह कहानियाँ आपकी ज़िन्दगी को बेहतर बना रही है, या इन्हीं कहानियों की वजह से आप निराशा को अनुभव कर रहे हैं?
(*अल्फा नामक हॉलीवुड मूवी में यह कहानी दिखाई गयी है । )
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एन्जॉय योर लाइफ एंड लिव विथ पैशन !
Sandip Shirsat
Creator of MBNLP, Founder & CEO of IBHNLP
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Summary:
What is reality? Is reality same for all? How does the definition of reality impact our behaviour, thought patterns, emotions or the feelings? How do the stories that we create shape our life? How do we shape our own destiny?
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